Scholarships Scam: 2.38 लाख छात्र, 200 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला जानिए क्या है पूरा मामला

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Scholarships Scam

हिमाचल प्रदेश का स्कॉलरशिप घोटाला इन दिनों काफी चर्चा में है. 181 करोड़ रुपये के इस घोटाले की जांच सीबीआई के साथ-साथ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के चलते ईडी भी कर रही है. हालांकि, इस मामले में कुल 250 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा हुआ है.

जानकारी के अनुसार, इस घोटाले की शुरुआत साल 2013 से हुई थी. 2013 से 2019 तक हिमाचल प्रदेश के निजी संस्थानों ने दलित छात्रों की स्कॉलरशिप में घोटाला किया. इसी केस में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया और जांच शुरू की. शिमला में ईडी दफ्तर के डिप्टी डायरेक्टर विशालदीप ने इस मामले में फंसे निजी संस्थानों से मामले को सुलझाने के लिए रिश्वत मांगी. वह हर संस्थान से एक-एक करोड़ रुपये मांग रहे थे. इस दौरान ढाई करोड़ रुपये की रिश्वत का मामला सामने आया.सीबीआई की टीम ने सबसे पहले शिमला के ईडी दफ्तर में छापा मारा और पूर्व डिप्टी डायरेक्टर विशालदीप के भाई को गिरफ्तार किया. सीबीआई ने इस केस में 55 लाख रुपये नकद भी बरामद किए. विशालदीप कई दिनों तक सीबीआई को चकमा देता रहा और फिर 18 दिन बाद मुंबई से गिरफ्तार हुआ. उधर, 20 जनवरी 2025 को इसी मामले में सीबीआई ने अपने डीएसपी बलबीर सिंह को दिल्ली से गिरफ्तार किया. उन्हें 21 जनवरी को कोर्ट में पेश किया गया और एक दिन के रिमांड पर भेजा गया. आरोप है कि डीएसपी रिश्वत के पैसों में 10 फीसदी कमीशन मांग रहे थे.

हिमाचल प्रदेश में 2.38 लाख एसटी, एससी और माइनोरिटी वर्ग के छात्रों को स्कॉलरशिप मिलनी थी. राज्य के निजी संस्थानों के छात्रों को भी स्कॉलरशिप दी जानी थी. लेकिन इस स्कॉलरशिप के पैसे को निजी संस्थानों ने फर्जी तरीके से गबन कर लिया. छात्रों के फर्जी दाखिले दिखाए गए और पैसे ले लिए गए. क्योंकि यह रकम सीधे छात्रों को नहीं मिलती थी, बल्कि कॉलेजों के जरिए दी जाती थी. गौरतलब है कि 19,915 छात्रों के नाम पर 4 मोबाइल नंबरों से जुड़े बैंक खातों में पैसा डाला गया. फिलहाल, कुल फर्जीवाड़ा 250 करोड़ से अधिक का है.

ईडी ने 4 राज्यों में 24 स्थानों पर छापेमारी की थी

गौरतलब है कि 31 अगस्त 2023 को ईडी ने 4 राज्यों में 24 स्थानों पर छापेमारी की थी और 4.42 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी. IAS अफसर अरुण शर्मा जब शिक्षा सचिव थे, तो उन्होंने सबसे पहले केस दर्ज करवाया. उन्होंने अपने स्तर पर जांच की और पाया कि शिक्षा विभाग के कुछ अफसर और कर्मचारी संस्थानों के दलालों से मिलकर स्कॉलरशिप का पैसा हजम कर गए. इस मामले में जयराम सरकार ने साल 2019 में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी और फिर ईडी ने भी अपने स्तर पर जांच शुरू की.

इन लोगों ने लगाए थे आरोप

शिमला में दिसंबर 2024 में लगातार सीबीआई ने तीन बार ईडी दफ्तर पर छापा मारा था. इसके बाद शिमला में 30 दिसंबर 2024 को हिमाचल प्रदेश के निजी शिक्षण संस्थान हिमालयन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन रजनीश बंसल, देवभूमि ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन भूपिंदर शर्मा, आईसीएल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन संजीव प्रभाकर और दिव्यज्योति ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डी.जे. सिंह ने ईडी पर उगाही, दुर्व्यवहार और टॉर्चर के आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि ईडी के डिप्टी डायरेक्टर ने 25 संस्थानों के संचालकों से 1-एक करोड़ रुपये की मांग की थी और कुल 25 करोड़ रुपये का टारगेट रखा था.

तत्कालीन उच्च शिक्षा विभाग के अधीक्षक अरविंद राजटा छात्रवृत्ति के आवंटन देख रहे थे और उन्होंने 9 फर्जी संस्थानों को ₹28 करोड़ से अधिक की छात्रवृत्ति राशि दी थी, जिसमें उनकी पत्नी की 33% हिस्सेदारी थी. राजटा को सीबीआई ने गिरफ्तार भी किया था. ईडी ने सीबीआई द्वारा 8 मई 2019 को आईपीसी की धारा 409 (गबन), 419 (व्यक्ति द्वारा धोखाधड़ी), 465 (जालसाजी), 466 (इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों में जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज का वास्तविक के रूप में उपयोग) के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी. (source – news18india)

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