Ritesh Agarwal: एक छोटे शहर से अरबों की कंपनी तक का सफर

Bharat Kumar
8 Min Read
Ritesh Agarwal

रितेश अग्रवाल: एक छोटे शहर से अरबों की कंपनी तक का सफर

Ritesh Agarwal—एक ऐसा नाम जो आज भारत के सबसे कम उम्र के अरबपतियों में गिना जाता है और ओयो रूम्स (OYO Rooms) के संस्थापक के रूप में दुनिया भर में पहचाना जाता है। उनकी कहानी एक साधारण लड़के की है, जो ओडिशा के छोटे से शहर से निकला और अपने सपनों के पीछे चल पड़ा, बिना रुके, बिना थके। यह ब्लॉग उनके जीवन, संघर्ष और सफलता की कहानी है, जो हर उद्यमी के लिए एक प्रेरणा है।

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शुरुआत: ओडिशा के छोटे शहर से

Ritesh Agarwal का जन्म 16 नवंबर 1993 को ओडिशा के बिस्सम कटक में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उनका बचपन टिटिलागढ़ में बीता, जहाँ उनके परिवार की एक छोटी सी दुकान थी। रितेश ने अपनी स्कूली पढ़ाई सैक्रेड हार्ट स्कूल, रायगड़ा और सेंट जॉन्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की। बचपन से ही उनके अंदर कुछ अलग करने की चिंगारी थी। जब वे मात्र 10 साल के थे, तब उन्होंने कोडिंग शुरू कर दी थी, और 13 साल की उम्र में वे सिम कार्ड बेचने लगे—यह उनका पहला छोटा-सा व्यवसाय था।

रितेश के लिए किताबी पढ़ाई से ज्यादा दुनिया को समझना और नए विचारों को खोजना जरूरी था। जब वे 17 साल के हुए, तो उन्होंने कॉलेज के लिए दिल्ली जाने का फैसला किया। वहाँ वे इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस एंड फाइनेंस में लंदन विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में दाखिल हुए, लेकिन उनका मन पारंपरिक शिक्षा में नहीं लगा। जल्द ही उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया। क्यों? क्योंकि उनका सपना डिग्रियों से नहीं, बल्कि वास्तविक दुनिया के अनुभव से बनने वाला था।

पहला कदम: ओरावेल स्टेज़

रितेश को घूमने का शौक था। किशोरावस्था में उन्होंने भारत भर में यात्रा करते हुए एक बड़ी समस्या देखी—कम बजट में यात्रा करने वालों के लिए अच्छा और सस्ता ठिकाना मिलना मुश्किल था। होटल या तो बहुत महंगे थे, या फिर उनकी गुणवत्ता इतनी खराब कि रहना मुश्किल हो जाता था। इस समस्या ने उनके दिमाग में एक विचार जगाया।

2011 में, जब वे सिर्फ 17-18 साल के थे, रितेश ने अपना पहला उद्यम “ओरावेल स्टेज़” शुरू किया। यह एक ऑनलाइन मंच था, जो कम बजट के यात्रियों के लिए बेड-एंड-ब्रेकफास्ट, गेस्टहाउस और निजी कमरे बुक करने की सुविधा देता था—कुछ हद तक Airbnb की तरह। लेकिन शुरुआत में यह विचार उतना सफल नहीं हुआ, जितना उन्होंने सोचा था। व्यवसाय मॉडल में कमी थी और धन भी सीमित था। फिर भी, रितेश ने हार नहीं मानी।

बड़ा मौका: थिएल फेलोशिप और ओयो की शुरुआत

2012 में रितेश की किस्मत बदली, जब उनका ओरावेल स्टेज़ वेंचर नर्सरी के एक्सेलेरेटर प्रोग्राम में चुना गया। इससे उन्हें 30 लाख रुपये की फंडिंग मिली। इसके साथ ही उन्होंने अपना विचार थिएल फेलोशिप के सामने पेश किया—यह एक वैश्विक प्रतियोगिता थी, जिसे पेपाल के सह-संस्थापक पीटर थिएल ने शुरू किया था। इसमें 20 साल से कम उम्र के छात्रों को अपने स्टार्टअप के लिए $100,000 की ग्रांट दी जाती थी, बशर्ते वे कॉलेज छोड़ दें।

रितेश इसमें भारत के पहले विजेता बने और उन्हें $100,000 (उस समय लगभग 60 लाख रुपये) मिले। यह उनके लिए एक निर्णायक मोड़ था। इस धन और आत्मविश्वास के साथ, उन्होंने ओरावेल को एक नए रूप में लॉन्च किया—OYO Rooms। मई 2013 में ओयो का जन्म हुआ, जिसका मतलब था “ऑन योर ओन”—एक ऐसा मंच जो सस्ते होटलों को मानकीकृत करके यात्रियों को एकसमान गुणवत्ता और किफायती दाम दे सके।

Ritesh Agarwal
Ritesh Agarwal

ओयो का विचार: एक नया क्रांतिकारी कदम

रितेश का विचार साधारण लेकिन क्रांतिकारी था। उन्होंने देखा कि भारत में छोटे होटल और गेस्टहाउस की कमी नहीं है, लेकिन उनकी गुणवत्ता और सेवाएँ असमान हैं। ओयो ने इस खाई को भरा—वे होटल मालिकों के साथ साझेदारी करते, उनकी संपत्तियों का ऑडिट करते, उन्हें मानकीकृत करते (जैसे साफ कमरे, वाई-फाई, एसी), और फिर उन्हें अपने मंच पर सूचीबद्ध करते। बुकिंग ओयो के ऐप या वेबसाइट से होती, और यात्रियों को एक भरोसेमंद अनुभव मिलता।

पहला ओयो होटल गुरुग्राम में शुरू हुआ, और देखते ही देखते यह मॉडल हिट हो गया। 2015 तक ओयो 20 से ज्यादा शहरों में 350 से अधिक होटलों और 4000 कमरों तक पहुँच गया। निवेशकों का भरोसा भी बढ़ा—लाइटस्पीड वेंचर्स, सिकोइया कैपिटल और सॉफ्टबैंक जैसे बड़े नामों ने ओयो में निवेश किया। 2018 तक ओयो एक यूनिकॉर्न बन गया, जिसकी वैल्यूएशन $5 बिलियन हो गई।

वैश्विक विस्तार और चुनौतियाँ

रितेश की नजर सिर्फ भारत तक सीमित नहीं थी। 2016 में ओयो ने मलेशिया में कदम रखा, फिर 2017 में नेपाल, और 2018 में यूके, यूएई, चीन, सिंगापुर और इंडोनेशिया जैसे देशों में। 2019 तक ओयो के पास 500 से ज्यादा शहरों में 3,30,000 से अधिक कमरे थे। यह एक बड़ा मील का पत्थर था, लेकिन इस सफर में चुनौतियाँ भी आईं—वित्तीय नुकसान, होटल मालिकों के साथ विवाद, और कोविड-19 का असर। लेकिन रितेश ने हर मुश्किल का सामना किया और ओयो को फिर से पटरी पर लाए।

2019 में ritesh agarwal ने $2 बिलियन के शेयर खरीदे, अपनी हिस्सेदारी को तीन गुना कर दिया, जो उनके विजन में उनके विश्वास को दिखाता है। आज ओयो 80 से ज्यादा देशों में 43,000 से अधिक संपत्तियों के साथ दुनिया का एक बड़ा हॉस्पिटैलिटी ब्रांड है।

निजी जीवन और संपत्ति

रितेश ने 2023 में गीतांशा सूद से शादी की, और उसी साल उनका एक बेटा हुआ। उनकी नेट वर्थ 2024 तक लगभग 16,000 करोड़ रुपये (लगभग $2 बिलियन) है, जो उन्हें भारत का सबसे युवा स्व-निर्मित अरबपति बनाती है। वे शार्क टैंक इंडिया सीजन 3 and 4 के सबसे कम उम्र के “शार्क” बने, जहाँ उन्होंने अपने अनुभव से नए उद्यमियों को प्रेरित किया।(more read- wikipedia)

Ritesh Agarwal- से सीख

Ritesh Agarwal की कहानी हमें सिखाती है कि:

  1. सपने बड़े देखो—एक छोटे शहर से निकलकर वैश्विक साम्राज्य बनाया।
  2. हार मत मानो—ओरावेल के असफल होने के बाद भी उन्होंने ओयो बनाया।
  3. नवाचार जरूरी है—उन्होंने बजट यात्रा को नए तरीके से हल किया।

आज Ritesh Agarwal sir एक मिसाल हैं—न सिर्फ उद्यमियों के लिए, बल्कि हर उस इंसान के लिए जो अपने सपनों को सच करना चाहता है।

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